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रात के बारह बज रहे थे । पूरे गाँव में गहरी नींद नहीं थी, लेकिन नीलकंठ की आँखों में नींद नहीं थी । वह अपनी पुरानी हवेली के अवशेषों में खड़ी थी , जहां से दूर तक जंगल का अंधेरा साफ दिख रहा था। अचानक, दरवाजे पर सरेआम हुई ।8964 copyright protection303PENANAetbxStJpYm 維尼
निज़ाम का दिल तेजी से देखने लगा। इतनी रात को कौन हो सकता है? अपराष्ट-डरते। दरवाज़ा खुला, सामने कोई नहीं था ।8964 copyright protection303PENANAdVlWcaOBxh 維尼
वहां पर जीवाश्म मिट्टी में एक अजीब सा निशान था —जैसे कोई अदृश्य साया से भूजा हो। https://theeghumoaps.com/4/8908706 8964 copyright protection303PENANADbIcjGYP3y 維尼